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भगवान को पाने की इच्छा मनुष्य के कार्य सरल बना देती है…

स्वर्ग की प्राप्ति के लिए मनुष्य को अपने बुरे कर्मों को त्यागकर के अच्छे कर्म करने होंगे जिससे मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होगी और मनुष्य को अपने आप में चित लगाना चाहिए क्योंकि यह भी स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग बनता है।

कर्म मनुष्य का बीज होता है जैसा मनुष्य कर्म करेगा मनुष्य को वैसा ही फल भोगने को मिलेगा।

जरा से सुख के लिए मनुष्य वो सब काम करेगा जिन्हें शास्त्रों में मना किया गया है। जिससे मनुष्य का स्वार्थ निकलता हो उस चीज के लिए मनुष्य किसी भी हद तक चला जायेगा और जिस से मनुष्य का स्वार्थ ना निकले उसको मनुष्य कभी भी मुड़कर नहीं देखता है लेकिन हमारा धर्म यह बातें नहीं सिखाता है।

जो धर्म के साथ बुरा करेगा और जो व्यक्ति उस व्यक्ति का साथ देगा तो उस व्यक्ति को भी पाप के परिणाम भोगने होंगे। मनुष्य को कभी भी उस व्यक्ति का साथ नहीं देना चाहिए जो आपको भगवान की भक्ति, पूजा या कीर्तन करने से रोके।

!! राधे राधे बोलना पड़ेगा !!

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